ना जाने आज फिर क्यों मुझे वो इतना याद आने लगे हैं,
जिन्हें भूलने में मुझे कईं ज़माने लगे हैं।
ना जाने क्यों मेरे दिल ने फिर उन्हें आज याद किया
जिन्होंने कभी दिल-ए-बर्बाद किया...
आँख बंद करते ही आज फिर वो सामने आ गए,
ना जाने क्यों इन भरते हुए ज़ख्मों को फिरसे वह सहला गए।
मैं तो उस मोड़ को छोड़ के आगे निकल चुका था,
ज़िन्दगी के मायने भी कबके मैं बदल चुका था,
पर ना जाने क्यों आज फिर वह मुझसे उस मोड़ पे टकरा गए,
शायद कोई बचा हुआ दर्द देने वापस आ गए...
पर अबके मैं उनका सामना ना कर पऊँगा,
इसीलिए देख के उनको आज मैं पलट जाऊँगा।
इसीलिए देख के उनको आज मैं पलट जाऊँगा।
पर ना जाने क्यों वह मुझको इतना रुला गए,
के ना चाहते हुए भी वह आंसू बनके बहार आ गए...
- मनप्रीत