जो आज वो मुझसे रूठ गया,
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
दिल ने चाहा उसे रोकना, पर रोक न सका,
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
जहाँ झुकना था वहां झुक न सका,
जहाँ रुकना था वहां रुक न सका,
मंजिल तो करीब थी पर पहुँच न सका,
शायद इसलिए जो बनना था वो बन न सका,
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
आँखें तो हज़ार थी पर, किसी का नूर बन न सका,
दिल तो हज़ार थे पर किसी में घर कर न सका,
सफ़र में दोस्त तो लाखों मिले, पर कोई दिलबर मिल न सका,
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
जिसका इंतज़ार था मुझे उसने मुझे देखा नहीं,
जिसके लिए रुका था मैं वो मेरे लिए रुका नहीं,
प्यार के खंजर से उसने मेरा कत्ल किया,
पर मैंने कहा दर्द अभी हुआ नहीं...
क्योंकि...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
दिल तो रोता है मेरा भी,
पर कोई आंसू टपकता नहीं,
इस दुनिया के अंधियारे में
अब कोई हाथ मेरा पकड़ता नहीं
ज़रूर...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
दिल ने चाहा उसे रोकना, पर रोक न सका,
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
जहाँ झुकना था वहां झुक न सका,
जहाँ रुकना था वहां रुक न सका,
मंजिल तो करीब थी पर पहुँच न सका,
शायद इसलिए जो बनना था वो बन न सका,
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
आँखें तो हज़ार थी पर, किसी का नूर बन न सका,
दिल तो हज़ार थे पर किसी में घर कर न सका,
सफ़र में दोस्त तो लाखों मिले, पर कोई दिलबर मिल न सका,
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
जिसका इंतज़ार था मुझे उसने मुझे देखा नहीं,
जिसके लिए रुका था मैं वो मेरे लिए रुका नहीं,
प्यार के खंजर से उसने मेरा कत्ल किया,
पर मैंने कहा दर्द अभी हुआ नहीं...
क्योंकि...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
दिल तो रोता है मेरा भी,
पर कोई आंसू टपकता नहीं,
इस दुनिया के अंधियारे में
अब कोई हाथ मेरा पकड़ता नहीं
ज़रूर...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
कुछ कमी मुझ में ही होगी...
- मनप्रीत