
रंग वही अच्छा जो सब में घुल जाए
घुले ऐसा की फिर धुले न धुल पाए
धोए- धोए धोबी उसे, आपन ही रंग जाए
रंग इतना गहरा की मधिरा भी फीकी पड़ जाए
जो मन पे लागे एक बार, तो वह भी बावरा हो झूम जाए
बावरा मन फिर जाने कौन से रंग में रंग जाए
जो देखे खुद को आईने में हर रंग अपना ही भा जाए
अपने हर रंग में उसे कई रंग नज़र आए
उन्हीं रंगों में रंग के "मीरा" जोगन कहलाए
- मनप्रीत
घुले ऐसा की फिर धुले न धुल पाए
धोए- धोए धोबी उसे, आपन ही रंग जाए
रंग इतना गहरा की मधिरा भी फीकी पड़ जाए
जो मन पे लागे एक बार, तो वह भी बावरा हो झूम जाए
बावरा मन फिर जाने कौन से रंग में रंग जाए
जो देखे खुद को आईने में हर रंग अपना ही भा जाए
अपने हर रंग में उसे कई रंग नज़र आए
उन्हीं रंगों में रंग के "मीरा" जोगन कहलाए
- मनप्रीत
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