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तो जनाब, मुश्किल तो ये है...
हर बात मैं पत्नी से कह पता नहीं
और जो कह जाता हूं गलती से
मतलब उसका उल्टा निकाल लेती है वो जल्दी से
मुश्किल तो ये है...
*अव्वल तो, उसे मैं छेड़ता नहीं जान के
और अगर कभी हो जाती है मुझसे मिस्टेक
छिड़ जाता है जिंदगी में मेरी, पानीपत की जंग का री-टेक
मुश्किल तो ये है...
कि मैं भी कभी-कभी बोल देता हूं, ज़ुबान अपनी खोल देता हूं
पर सच को मेरे पहना दिया जाता है झूठ का नकाब
और आगे-पीछे कई सालों का मेरे, हो जाता है हिसाब
मुश्किल तो ये है...
कि छोटी-छोटी बातों का भी *फ़साना बना दिया जाता है
*नुक़्ते से नुक़्ते को जोड़कर
चक्रव्यू त्यार किया जाता है
बस फिर क्या ?
बिना वजह बहस में मुझे और खींच लिया जाता है
Point Blank पे निशाना रख के
मेरा शिकार किया जाता है
मानो हर और से उड़ता तीर मेरी और ही आता है
उन्हीं तीरों के वार से खुदको रोज़ बचाता हूं
सफ़ेद रुमाल हाथों में लेकर शांति का पाठ पढ़ाता हूं
पर मैं जानता हूं...
अंत में केवल सच की विजय होती है
पति तो हार जाता है और पत्नी *'अजय' होती है
* अव्वल - first
फ़साना - story
नुक़्ता - dot, बिंदू
अजय- invincible
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