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बड़ी शिद्दत से...
मैने एक पायजामा सिलवाया
उसपे धारियों वाला डिज़ाइन बनवाया
पर लोगों की बुरी नज़र उसे खा गई
चार दिन में ही बिचारे की सिलाइयाँ बाहर आ गई
"आसन" से वह कुछ इस तरह फट गया
जैसे भारत- पाकिस्तान दो हिस्सों में बट गया
कपड़ा उसका सूती था
लकीरें उसपे चमकदार थी
मनचाही कीमत देने को उसकी, पूरी दिल्ली तैयार थी
वो मेरी आखों का तारा था
4 कुर्तों को मेरे, उसका ही सहारा था
अब उसकी क्या मैं तारीफ करूं...
बिल्कुल भी नख़रे नहीं दिखाता था
Free size उसका हर किसी को पूरा आ जाता था
चाहे लंबाई में थोड़ा नाटा था
पर जो देख ले एक झलक, पहने बिना रह नहीं पाता था
वह दूर से नीला, और पास से पीला था
न कहीं से घिसा हुआ, न कहीं से ढ़ीला था
उसके रेशमी नाड़े को देख सब हैरान थे
कहाँ से लाए ऐसा पायजामा, ये सोच के मुहल्ले वाले परेशान थे
चाचा जी, ताया जी और "सो किलो" के फूफ़ा जी तक ने, उसे आज़माया था
पर हर किसी को उसमे, एक अपनापन नज़र आया था
लेकिन सबकी ख़्वाहिशें पूरी करते-करते "दम" उसका निकल गया
छोटी सी एक चीख के साथ, वो कई हिस्सों में बिखर गया
पर जाते-जाते भी वो अपना फर्ज़ अदा कर गया
अपने छोटे भाई "बरमुडे" (Shorts) को मेरे हवाले कर गया
पहन उसे अब, मैं अपना काम चलाता हूँ
खुली हवा का आनंद अब मैं, बरमुडे में पाता हूँ
मेरी अलमारी का हर कपड़ा आज बहुत उदास है
पर उसके जैसा एक और पायजामा अभी भी मेरे पास है
चाहिए हो आपको तो मुझे Comment में बता देना
फिर बाद में मत कहना, कि मेरे लिए भी एक सिल्वा देना
- मनप्रीत
उसपे धारियों वाला डिज़ाइन बनवाया
पर लोगों की बुरी नज़र उसे खा गई
चार दिन में ही बिचारे की सिलाइयाँ बाहर आ गई
"आसन" से वह कुछ इस तरह फट गया
जैसे भारत- पाकिस्तान दो हिस्सों में बट गया
कपड़ा उसका सूती था
लकीरें उसपे चमकदार थी
मनचाही कीमत देने को उसकी, पूरी दिल्ली तैयार थी
वो मेरी आखों का तारा था
4 कुर्तों को मेरे, उसका ही सहारा था
अब उसकी क्या मैं तारीफ करूं...
बिल्कुल भी नख़रे नहीं दिखाता था
Free size उसका हर किसी को पूरा आ जाता था
चाहे लंबाई में थोड़ा नाटा था
पर जो देख ले एक झलक, पहने बिना रह नहीं पाता था
वह दूर से नीला, और पास से पीला था
न कहीं से घिसा हुआ, न कहीं से ढ़ीला था
उसके रेशमी नाड़े को देख सब हैरान थे
कहाँ से लाए ऐसा पायजामा, ये सोच के मुहल्ले वाले परेशान थे
चाचा जी, ताया जी और "सो किलो" के फूफ़ा जी तक ने, उसे आज़माया था
पर हर किसी को उसमे, एक अपनापन नज़र आया था
लेकिन सबकी ख़्वाहिशें पूरी करते-करते "दम" उसका निकल गया
छोटी सी एक चीख के साथ, वो कई हिस्सों में बिखर गया
पर जाते-जाते भी वो अपना फर्ज़ अदा कर गया
अपने छोटे भाई "बरमुडे" (Shorts) को मेरे हवाले कर गया
पहन उसे अब, मैं अपना काम चलाता हूँ
खुली हवा का आनंद अब मैं, बरमुडे में पाता हूँ
मेरी अलमारी का हर कपड़ा आज बहुत उदास है
पर उसके जैसा एक और पायजामा अभी भी मेरे पास है
चाहिए हो आपको तो मुझे Comment में बता देना
फिर बाद में मत कहना, कि मेरे लिए भी एक सिल्वा देना
- मनप्रीत