मेरा दिल... जैसे एक गुब्बारा हो
जिसे प्यार की हवा का सहारा होकभी इस ओर, तो कभी उस ओर
इस जैसा न कोई आवारा हो
अपने प्यार से इसको थाम लेना
नाम इसका सरेआम न लेना
नाम इसका सरेआम न लेना
ध्यान रखना ! कहीं ये किसी ओर का न हो जाए
डोरी इसकी कहीं ओर न उलझ जाए
रंगों में इसके अपनी पहचान रखना
दिल के लिफाफे में, चुपके से अपना नाम रखना
डोरी इसकी कहीं ओर न उलझ जाए
रंगों में इसके अपनी पहचान रखना
दिल के लिफाफे में, चुपके से अपना नाम रखना
और जब भर जाए मन तुम्हारा इससे...
चुभन भरे काँटों से दोस्ती इसकी करा देना
या तेज़ हवा के झोंके में, इसे तुम उड़ा देना
चमकेगा आसमान में बनके, जैसे टूटा हुआ तारा हो
मेरा दिल... जैसे एक गुब्बारा हो
चुभन भरे काँटों से दोस्ती इसकी करा देना
या तेज़ हवा के झोंके में, इसे तुम उड़ा देना
चमकेगा आसमान में बनके, जैसे टूटा हुआ तारा हो
मेरा दिल... जैसे एक गुब्बारा हो
- मनप्रीत
4 टिप्पणियां:
Superb...m a big fan of ur poems...keep it up 👍
Great bro..
Beautiful! I liked the ending the most
.. Jaise tutta hua Taara ho.. .
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