घर के किसी कोने में कोई ऐसी जगह ढूंढी जाए
जहाँ अपने साथ कुछ वक़्त बिताया जाए
जहां तन्हाई से कुछ बात की जाए और कुछ पुरानी यादों से मुलाकात की जाए
आओ आज कोने में बैठ के गुफ़्तगू खुद के साथ की जाए...
जहां तन्हाई से कुछ बात की जाए और कुछ पुरानी यादों से मुलाकात की जाए
आओ आज कोने में बैठ के गुफ़्तगू खुद के साथ की जाए...
पर ध्यान रहे!
बातें इतनी मद्धम हों कि दिल के दीवारो-दर से बहार न जा पाएं
कानों को तो भनक भी न लग पाए और ज़ुबां से कुछ फ़िसल न जाए
बातें इतनी मद्धम हों कि दिल के दीवारो-दर से बहार न जा पाएं
कानों को तो भनक भी न लग पाए और ज़ुबां से कुछ फ़िसल न जाए
उसके बाद...
पलकों तले, ज़हन में दबी हर बात को टटोला जाए
परत- दर- परत उसे खोला जाए
वो पल जिनसे कभी चेहरे पे मुस्कान आई थी, उन्हें फिर से वक़्त से उधार लिया जाए
आंसू जो गिरफ्तार पड़े थे सदियों से, कुछ देर के लिए उन्हें रिहा कर दिया जाए
तब जा के...
पलकों तले, ज़हन में दबी हर बात को टटोला जाए
परत- दर- परत उसे खोला जाए
वो पल जिनसे कभी चेहरे पे मुस्कान आई थी, उन्हें फिर से वक़्त से उधार लिया जाए
आंसू जो गिरफ्तार पड़े थे सदियों से, कुछ देर के लिए उन्हें रिहा कर दिया जाए
दिल पे रखे बोझ से छुटकारा होगा
फिर वो कोना घर का तुम्हे सबसे प्यारा होगा
फिर वो कोना घर का तुम्हे सबसे प्यारा होगा
- मनप्रीत