दिल ये मेरा आजकल बहुत शोर करता है
खाली-फोकट में बोर करता है
खाली-फोकट में बोर करता है
दिमाग भी इससे बहुत परेशान है,
कहता है कि ये नौटंकी की दुकान है।
कहता है कि ये नौटंकी की दुकान है।
दिमाग कहता है, बातें ये मेरी अनसुनी कर देता है,
घर (दिल) की खिड़कियां भी बंद कर लेता है।
मैं जहां रोकता हूं, ये वहां ज़रूर जाता है,
फिर बेवजह माहौल बनाता है।
साला! एक दम confusion फैला रखी है,
और मेरी तो इसने दही बना रखी है।
और रुठना... वो तो जैसे इसकी आदत में *शुमार है,
ये ज़रूर किसी गलत फ़हमी का शिकार है।
आखों की भी आज मुझे शिकायत आई है,
इसके *बेहयाई के क़िस्सों की, उसने भी *फेहरिस्त सुनाई हैं।
वो कहती है, की पहले भी ये कई बार हमें फसा चुका है,
आंखों का काजल बहुतों का चुरा चुका है।
करता है गलती, और ऊपर से भड़कता है,
धड़कनों की आवाज़ तेज़ करके, ज़ोर-ज़ोर से धड़कता है।
नज़रें मिला के, ये तो मुकर जाता है,
और शर्म से हमें झुकना करना पड़ जाता है।
ज़ुबां ने भी दिल पे *तोहमतें लगाईं हैं,
और मेरी तो इसने दही बना रखी है।
और रुठना... वो तो जैसे इसकी आदत में *शुमार है,
ये ज़रूर किसी गलत फ़हमी का शिकार है।
आखों की भी आज मुझे शिकायत आई है,
इसके *बेहयाई के क़िस्सों की, उसने भी *फेहरिस्त सुनाई हैं।
वो कहती है, की पहले भी ये कई बार हमें फसा चुका है,
आंखों का काजल बहुतों का चुरा चुका है।
करता है गलती, और ऊपर से भड़कता है,
धड़कनों की आवाज़ तेज़ करके, ज़ोर-ज़ोर से धड़कता है।
नज़रें मिला के, ये तो मुकर जाता है,
और शर्म से हमें झुकना करना पड़ जाता है।
ज़ुबां ने भी दिल पे *तोहमतें लगाईं हैं,
इस से भी बुलवाता है झूठ, ऐसी बात मेरे सुनने में आई है,
इसीलिए कचहरी में आज इस मनचले की पेशी करवाई है।
आंखों की गवाही सुनकर, दिल को सज़ा सुनाई है,
इसकी बातों का बहिष्कार करने की "दफा" इसपे लगाई है।
आंखों की गवाही सुनकर, दिल को सज़ा सुनाई है,
इसकी बातों का बहिष्कार करने की "दफा" इसपे लगाई है।
हालांकि, दिल की बातें न सुनने की कसम तीनों ने खाई है,
पर रिश्वत दे के इन्हें खरीदने की, अदा मैने दिल को सिखाई है।
*शुमार - हिस्सा
बेहयाई - बेशर्मी
फेहरिस्त - लिस्ट
तोहमतें - इल्ज़ाम
दफा - section in a law
फेहरिस्त - लिस्ट
तोहमतें - इल्ज़ाम
दफा - section in a law
- मनप्रीत