Meaning of Gunchaa

शनिवार, अगस्त 28, 2021

शेयर मार्किट की कहानी, हमको है सुनानी




शेयर मार्केट की सवारी, हम पे पढ़ गई भारी
इंडेक्स बना है गोली,
पर पोर्टफोलियो मेरे में है खून की होली
हर शेयर ऊपर भाग रहा है,
पर मेरे वाला वहीं नाच रहा है


जो बेचता हूँ, वो ऊपर भाग जाता है,
जो खरीदता हूँ, वो औंधे मूंह गिर जाता है
Tata Steel, Happiest Minds, Infy, हर शेयर ऊंचाइयों के मज़े लूट रहा है
पर मेरे वाला हर रोज़ 2-4 रुपए टूट रहा है
जो सोया हुआ था बरसों से, वो भी अब जाग उठा है,
पर लगता है मेरा शेयर, मोह माया सब त्याग चुका है


हर Multibagger मेरा, अब  के फेल हो गया,
जिसमे थी बढ़ने की उम्मीद, उसमे भी खेल हो गया
अरे, Vodafone-Idea भी अब तो मेरा फेल हो गया
बस अब Yes Bank पे है, टिकी उम्मीद सारी,
पर उसने भी कर रखी है गिरने की पूरी तैयारी


हां ! पर एक शेयर था ऐसा, जिसका रंग अभी हरा था,
जो पूरे जोश से भरा था और गिरते बाज़ार में भी सीना ताने खड़ा था
अब तो बस वही था, जिस ने मेरी नाओ बचाये रख्खी थी,
जैसे फेल बच्चों की क्लास में मैंने, किसी से डिस्टिंक्शन की आस रख्खी थी
पर जब अपने Profit के चक्कर में, मैंने उसे ही काट दिया,
अगले ही दिन कंपनी ने One+One का बोनस बांट दिया


हर रोज़ IPO एक नया बाजार में आ जाता है,
पर मेरे inbox में अक्सर, रिफंड का मेल दिख जाता है
जो allotment आती है गलती से, होता नहीं है उसमे Listing Gain
और आखिर में वो भी बन के, रह जाता है बस एक Pain
नहीं करूँगा कोई सौदा, कसम यही मैं खता हूँ
पर फिर अगले दिन ही मैं, IPO में bid लगता हूँ


Bull Run में है पूरा मार्केट
चाहे कोई हो Exchange
पर जेब मेरी में अब तो यारो, बची हुई है केवल "चेंज"
मत पूछो बस अब तुम मुझसे, कितने मैं गवा चुका हूं
मैं 4 पैसे कमाने की चाहत में, लाखों अपने फसा चुका हूं



- मनप्रीत

गुरुवार, अगस्त 26, 2021

आईने से गुफ़्तगू...




आईना मुझसे कुछ कहता है
कि तेरे घर में अब तुझ जैसा कोई नही रहता है

वो कहता है कि...

देख तेरी सूरत कितनी बदल गई है
"कलमों" (Sideburns) में सफ़ेद चांदनी बिखर गई है...
हर पका हुआ सफ़ेद बाल ये बताता है
की तेरे उम्र में हो गया आज कुछ इज़ाफ़ा है
पर रगों में ख़ून अब और रवां हो गया है
लगता है तू अब थोड़ा और जवां हो गया है

माथे पे लकीरें अब नज़र आने लगी हैं
नज़र भी कुछ-कुछ धोखा खाने लगी है
यादाश्त भी... ट्यूब लाइट की तारा फढ़- फढ़ाने लगी है
पर बातों में तेरी अब मुझे गहराई नज़र आने लगी है

माना कि कभी-कभी तुम्हे  ...
चलने में तक़लीफ़ होती है
घुटनों में ग्रीस कुछ कम महसूस होती है
और बैठे-बैठे अब तशरीफ़ कुछ ज़्यादा सुन होती है
हर चीज़ अब दिल जलती(Heartburn) है
पर दिल की आवाज़ अब तुझे ज़्यादा समझ आती है

देखता हूँ तुझे तो मुझे यकीन नही होता है
कि तू वो ही है, जो खुद पे इतना मरता था ?
शक़्ल तेरी ख़राब हो, पर साफ़ मेरा मुँह करता था

पर तू मायूस मत होना

क्योंकि... उम्र तेरी अब लज़्ज़त (Swad, Maza) दिलाने लगी है
ज़िन्दगी के इस मोड़ पे भी तुझ पे जवानी छाने लगी है
याद रखना... हर उम्र का अपना मज़ा होता है
क्योंकि चालीस के बाद ही तो आदमी जवां होता है


MEN WILL BE MEN ;)

- मनप्रीत

शनिवार, अगस्त 21, 2021

बातें, कुछ अनकहीं सी, कुछ अनसुनी सी...





कुछ वो न बोली
कुछ मैं ना बोला
फिर भी बातें हुईं हज़ार
क्या ऐसे ही होता है प्यार का इज़हार!

नब्ज़ कुछ उसकी भी थमी थी
हथेलियों पे बर्फ कुछ मेरी भी जमी थी
धड़कनो में थी गज़ब की रफ़्तार
क्या ऐसे ही चढ़ता है प्यार का बुखार!

आंखों ने उसकी हर बात की
मेरी पलकों ने भी... हर बात पे सजदा किया
फिर भी नज़रों में थी उसके हया बेशुमार
क्या ऐसे ही मिलती हैं प्यार में नज़रें पहली बार!

उसने जो-जो नहीं कहा, मैंने वो सब सुना
कांपते होठों पे आए उसके, हर एक लफ्ज़ को बुना
माथे पे आईं उसकी सिलवटों को पढ़ा कईं बार
क्या ऐसे ही समझ में आता है प्यार!

पर सच तो ये था...

कि सामने बैठी थी वो मेरे
और मैं उसे देख रहा था
हर गुज़रते हुए लम्हे को, यादों में कहीं समेट रहा था
पर दूरियां कुछ इस कदर बढ़ चुकी थी
की कहानी मेरी लिखने से पहले ही मिट चुकी थी


- मनप्रीत

रविवार, अगस्त 01, 2021

जो मांगी थी दुआ...















ना जाने वक्त को क्या मंज़ूर था
लगता जो बहुत दूर था
आज वो इतने करीब आ गया
माज़ी (Past) के भरे हुए ज़ख्मों को फिर से सहला गया
जो मांगी थी सजदे में हाथ उठा कर मैने, वो फिर से याद आ गई
लगता है आज मेरी दुआ क़ुबूल होने कि बारी आ गई


पर ए खुदा! पूछता हूँ मैं तुझसे...
क्या करूं मैं इस दुआ का अब ??
जिसका अब कोई वजूद नहीं
मैं तो... मैं तो इसे कब का भुला चुका हूं
सीने में कहीं दफ़ना चुका हूं
फिर क्यों तूने ये पूरी कर दी ??
क्या मेरी फेरी हुई तस्बीह (जप माला) ने तेरी आँखें भरदी ?


पर कुछ ऐसे किस्से, कुछ ऐसी यादें
जिन्हें न जता सकता हूं, न छुपा सकता हूं, न दिखा सकता हूं
जिन्हें सिर्फ पलकों तले दबा सकता हूँ
जिन्हें मैं अपनी हाथों की लकीरों से भी मिटा चुका हूं
डरता हूँ, कहीं फिर न वो सामने आ जाए
और अश्क बन कर मेरे दामन में छलक जायें


पर वादा है मेरा तुझसे खुदा...


एक रोज़ जब मैं घर आऊंगा तेरे
लूँगा तुझसे हिसाब, दिए गए हर दर्द का मेरे
पर मैं जानता हूँ...
मेरे हर सवाल को तू हंस के टाल देगा
हर बात में मेरी ही गलती निकल देगा ज़रूर
शायद मेरी एक और माज़ी (Past) की दुआ कर देगा क़ुबूल


- मनप्रीत