मेरी लिखी कहानी को, हाथों से अपने मिटो गया
कहनी थी कई बातें उसको, सुननी थीं कई बातें उसकी
पर माथे कि लकीरों को अपनी, हर बात पे मेरी सिकोड़ गया
जाते-जाते आज फिर वो बात अधूरी छोड़ गया
यूँ तो बात छुपना आता नहीं उसे
पर अपनी खामोशी के पीछे, सवाल हज़ारों छोड़ गया
जाते-जाते आज फिर वो बात अधूरी छोड़ गया
अपना समझ के मैंने उसको दिल का राज़ बताया था
पर सीधी सी बात मेरी को, वो टेढ़ा-मेढ़ा मरोड़ गया
जाते-जाते आज फिर वो बात अधूरी छोड़ गया
हर बात पे मेरी, ज़िक्र उसका ही आता था
पर देख के मुझको आज, चुपके से मूँह मोड़ गया
जाते-जाते आज फिर वो बात अधूरी छोड़ गया
तुम्ही बताओ...
साथ अधूरी बातों का, आधी हुई मुलाकातों का, जिनका रंग हमेशा ही फीका है
उन्हें ज़हन में रख के जीना, क्या ये भी कोई तरीका है?
- मनप्रीत
6 टिप्पणियां:
Very nice 👌
Simply beautiful 💞❤️
Very nice👌🏻👌🏻
Nanak dhukiha sab sansar
Very good
Very beautifully written 👍
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