Meaning of Gunchaa

रविवार, सितंबर 19, 2021

कयोंकि नींद मेरी दोस्त है



जब पास जाता हूँ मैं बिस्तर के 
वो मुझे बुला लेता है
मौका देख के अपनी वो साज़िश को अंजाम देता है
वो कहता है" चाहे सोना नहीं, बस केवल दो पल के लिए लेट जा"

फिर मैं नादान... उसकी बातों में आ जाता हूँ
दबे पांव से उसकी और एक-एक कदम बढ़ाता हूँ
और धीरे-धीरे खुली बाहों से मुझको,
वो अपने आहोश में ले लेता है
तकिये को भी चुपके से अपनी, साज़िश में शामिल कर लेता है
जब सर रखता हूँ मैं ज़ानों * पे तकिये की,
वो लोरी मुझे सुनाता है
अपनी दोस्त "नींद" से भी, मेरा तआरुफ़ * कराता है
और बाकी की कहानी मेरी माँ पूरी कर देती है
चुपके से आकर मेरे, पैरों पे चादर ओढ़ा देती है

जब मकसद सबका पूरा हो जाता है
और आंखों पे मेरी ताला लग जाता है
मैं कुछ देर सो लेता हूँ
बस इस ही तरह हफ़्ते की छुट्टी, मैं अपनी पूरी कर लेता हूँ

...कयोंकि नींद मेरी दोस्त है

* ज़ानों : Laps
तआरुफ़ : Introduction


- मनप्रीत

रविवार, सितंबर 12, 2021

बूँदें...


न दिखें किसी को आंसू मेरे
न गम का हो आभास
इसीलिए चेहरे पे अपने, हंसी पिरोया करते हैं
बरसात के मौसम में अक्सर, हम खुल के रोया करते हैं

हर बूंद जो अम्बर से है गिरती
सीने पे घाव है गहरा करती
बादलों की गर्जन में हम, सिसकियों की आवाज़ दबाया करते हैं
बरसात के मौसम में अक्सर, हम खुल के रोया करते हैं

आवाज़ ये बारिश की मेरे कानों को चीर जाती है
टिप- टिप करती जैसे मेरे ज़ख्मों पे नमक लगाती है
फिराक-ए-यार* का इस मौसम में, लुत्फ उठाया करते हैं
बरसात के मौसम में अक्सर, हम खुल के रोया करते है

कभी कभी लगता है ऐसे
अम्बर भी रोता हो जैसे
हिकायतें* मोहब्बत की वो हमसे, कुछ इस तरह नुमाया* करता है
की साथ मेरे इस मौसम में, अम्बर भी रोया करता है


* फिराक-ए-यार : Pain of Separation
नुमाया : पेश, Represent
हिकायत : कहानी



- मनप्रीत