उसने तो केवल अब, हमारा तुम्हारा रूप धरा है
गौर से देखो तो हम सबके, वह मन में कहीं समाता है
यही तो है जो तेरे-मेरे मन में बैर जगाता है
दस सिर हों तो काट भी दूं, पर लाखों से न लड़ पाओगे
इसीलिए अगले साल फिर तुम इसे जलाओगे
कलयुग का ये रावण अबके और बलवान हो जायेगा,
इसे मारने के लिए, एक राम अकेला पड़ जायेगा
पर ना कोई राम ना ही घनश्याम, अबके न कोई आएगा
प्रेम भाव से देखो सबको
ये रावण स्वयम ही मिट जाएगा
- मनप्रीत
3 टिप्पणियां:
sahi kha aapne....
Bhot khoob kaha
Truly said
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