कुछ यादें जिनसे मैं नाता तोड़ आया हूँ
एक उम्र जो पीछे छोड़ आया हूँ
उसे फिर मैं जीना चाहता हूँआज मैं फिर से बच्चा बनना चाहता हूँ
वो साथी जो कहीं छूट गए थे
उन्हें फिर से गले लगा के, जी भर के हंसना चाहता हूँ
आज मैं फिर से बच्चा बनना चाहता हूँ
वो खेल जो खेला करते थे
वो रस्ते जहाँ मेले लगा करते थे
उन गलियों के रस्ते से, मैं फिर गुज़रना चाहता हूँ
आज मैं फिर से बच्चा बनना चाहता हूँ
वो एक पल में रूठना और मान जाना
वो कागज़ के हवाई जहाज़ बना के, कॉपियों का खत्म हो जाना
आज उन खेलों को मैं फिर से खेलना चाहता हूँ
आज मैं फिर से बच्चा बनना चाहता हूँवो दोस्त जिनके साथ की पढ़ाई मैंने
जिनके साथ हमेशा सज़ा पाई मैंने
उनके साथ मिलके दो पल गुज़ारना चाहता हूँ
आज मैं फिर से बच्चा बनना चाहता हूँ
वो सुबह स्कूल ना जाने के हजारों बहाने बनाना
बस निकलते ही सब पेट दर्द ठीक हो जाना
और आधी छुट्टी से पहले चुपके से लंच खाना
और आधी छुट्टी से पहले चुपके से लंच खाना
उस खाने का ज़ायका मैं फिर से चखना चाहता हूं
आज मैं फिर से बच्चा बनना चाहता हूँ...
-मनप्रीत
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